मासिक धर्म अवकाश: विवाद और समाधान

कुछ देशों में महि ला ओं को मा सि क धर्म के दि नों में अवका श दि या जा ता है,हैजबकि कुछ देशों में इसे अनि वा र्यता से बा हर कर

दि या गया है।है हा ल ही मे केंद्रि या महि ला एवं बा ल वि का स मंत्रीमं त्री स्मृति ईरा नी ने कहा है कि ""पी रि यड्स को ई बी मा री नहीं है,है

यह एक सा मा न्य जी वन का हि स्सा है,हैयह को ई बा धा नहीं , मा सि क धर्म जी वन या त्रा का एक हि स्सा है।है""

उनके अनुसा र ऐसे मुद्दों का प्रस्ता व संससं द में नही देना चा हि ए। इससे महि ला समा न अवसर से वंचिवं चित रह जा ती है कां ग्रेस

सां सद शशि थरूर के सवा ल का जवा ब देते हुए स्मृति ने कहा कि सभी का र्यस्थल के लि ए अनि वा र्य मा सि क धर्म अवका श

का को ई प्रस्ता व सरका र के वि चा र में नहीं है।है लि खि त जवा ब में स्मृति ने बता या कि इस परेशारे शानी से महि ला ओं और

लड़कि यों का छो टा सा हि स्सा गंभीगं भीर कष्ट से प्रभा वि त हो ता है जि से दवा ई से नि यंत्रियं त्रित कि या जा सकता है।है

मा सि क धर्म का वि षय हमा रे समा ज में एक महत्वपूर्ण और वि वा दा स्पद मुद्दा है।है हर मही ने हो ने वा ले इस शा री रि क परि वर्तन

से तो महि ला एं प्रभा वि त हो ती हैं,हैंलेकि न क्या उन्हें इसे लेकर अवका श मि लना चा हि ए या नहीं , यह एक सा मा ज से जुड़ा

मुद्दा बन गया है।है

अवका श के प्रश्न पर महि ला ओं की वि भि न्न धा रा ओं का समर्थन और वि रो ध आरंभरं हो गया है,हैजो समा ज में बदला व की ओर

नया कदम है।है महि ला एं अपने अधि का रों की सुरक्षा के लि ए उठ खड़ी हैं,हैंजबकि कुछ लो ग इसे समा ज में वि भा जन बढ़ा ने का

का रण मा नते हैं।हैं इस वि वा द के बी च, जनसा मा न्य को समझदा री और उदा रता से संवेसं वेदनशी ल रहना हो गा ता कि हम समृद्धि

और सा मंजमं स्य की दि शा में बढ़ सकें।

इस प्रका र, मा सि क धर्म के दि नों में अवका श का मुद्दा एक वि चा रशी ल और समृद्धि -वा दी समा ज में सा झा करने की

आवश्यकता है,हैता कि सभी स्त्री -पुरुष इसे समझें और इस पर सा मूहि क रूप से वि चा र करें

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