"श्री लाडली जी महाराज" बरसाना का मन्दिर जो कि राधा रानी का प्रसिद्ध मन्दिर है, जहां रोज़ाना इतनी हलचल, भीड़ और ध्वनि की गूंज होती हैऔर इसी शोर शराबे में लगभग एक 10 साल का बच्चा जिसका नाम कृष्ण कन्हैया है , वह मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा है, अपनी पढ़ाई में लिप्त है। जब उसके सहपाठी खेलने में व्यस्त होते हैं, तो कृष्ण एक अलग रास्ता चुनता है। जब स्कूल खत्म होती है, तो वह मंदिर की दीवारों के अंदर शांति और प्रेरणा पाता है और वहीं मन्दिर की सीढ़ी पर बैठ कर अध्ययन करता है।
उसकी आयु कम है पर भविष्य को सुरक्षित करने के लिऐ उसने एक नया रास्ता खोज लिया है, वहां से गुजरने वाले लोग बड़े ही संकोच से उसे देख रहे थे की आखिरकार इतने छोटे बच्चे को यह ज्ञान किसने दीया की मन्दिर की सीढ़ी पर बैठ कर उसे पढ़ना चहिए ? और वही उसके इस अनोखे अध्ययन से कुछ लोग आकर्षित हो कर उसे पैसे दे रहें थे , कृष्ण कन्हैया सिर्फ अपनी किताब पर ध्यान केंद्रित रखता है वह किसी से बातचीत नहीं करता ना किसी से खुद पैसे मांगता है बस अपनी पढाई में मग्न है और जाने – अंजाने में उसकी पढ़ाई के साथ– साथ उसकी जीविका का बंदोबस्त भी हो गया था ।
कृष्ण की कहानी शिक्षा की शक्ति और मन्दिर की आस्था का एक अनूठा परिचय है,
पता नहीं वो इस कच्ची उम्र में क्या सीख रहा होगा, कि पढ़ाई करने से लोग मुझे पैसे दे रहे हैं या सिर्फ मन्दिर में बैठने से ?
यह फोटो न केवल समय के एक पल को दर्शाती है, बल्की समाज के एक ऐसे हिस्से को भी जहां पर लोग मन्दिर पर निर्भर है
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